गुलदस्ते सा मेरा देश गुँथे जिसमे विविध हैं वेश गुलदस्ते सा मेरा देश गुँथे जिसमे विविध हैं वेश
न चमन न वतन चाहिए मुझे तो बस तिरंगे का कफन चाहिए न चमन न वतन चाहिए मुझे तो बस तिरंगे का कफन चाहिए
भीग रहा हूं उसी बरसात में। भीग रहा हूं उसी बरसात में।
सब तरफ से ईंटें उठती रही हम थे कि अनजान ही बने रहे। सब तरफ से ईंटें उठती रही हम थे कि अनजान ही बने रहे।
ग़मों के बदल का कारवाँ चला सिर्फ तन्हाई और दर्द मिला ग़मों के बदल का कारवाँ चला सिर्फ तन्हाई और दर्द मिला
जब आस्पताल में एक नन्ही बच्ची को जन्म दिया , तब मेरे मन में तितली की तरह एक स्पंदन प जब आस्पताल में एक नन्ही बच्ची को जन्म दिया , तब मेरे मन में तितली की तरह ...